मैय्या री तूने क्या ठानी मन में राम सिया भेज दियो वन में

हरिद्वार । (कुल भूषण शर्मा) श्रीरामचरित मानस कथा के छठे दिवस भगवान राम के राज्यभिषेक का पावन प्रसंग श्रवण कराते हुए कथा व्यास साध्वी विश्वेश्वरी देवी ने कहा कि शुभ संकल्प को मन में आते ही पूर्ण कर देना चाहिए, मन और ग्रहों की दशा कब बदल जाएं ये किसी को भी नहीं पाता। उन्होंने कहा कि जब भी मन में दान, तीर्थयात्रा, अनुष्ठान करने का भाव जागे उसके लिए मुहर्त की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए क्योंकि अच्छे काम में क्या मुहर्त देखना, हां बुरा काम करने से पहले सौ बार जरूर सोचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कुबुद्धि ही मंथरा है, जो दुखों का कारण बनता है। कुबुद्धि रूपी मंथारा हमारे आस-पास रहती हैं और वह मन में भेदभाव के रूप में हमेशा हमारे साथ रहती हैं जो परिवरो में कलह और विघटन का कारण बनती है। भगवान राम को वनवास का कारण मंथारा की कुटिलता बनी। कथा व्यास ने कहा घर के विद्वेष के समय बडे़-बडे़ ज्ञानी, तपस्वी विवेक खो बैठते हैं और यही स्थिति राजा दशरथ की कैकयी के समक्ष हुई। जब कैकयी ने राम को वनवास देने का वरदान मांगा। कथा के छठे दिवस कथा व्यास साध्वी विश्वेश्वरी देवी ने भगवान राम के वन गमन का बड़ा ही मार्मिक प्रसंग श्रवण कराया।
कथा के मध्य उत्तराखंड सरकार में मंत्री रेखा आर्य का आगमन हुआ जिनका स्वागत कथा के संयोजक मुकेश कौशिक, जगदीशलाल पाहवा, अनिल कुमार, अन्नू कक्कड़, बबीता शर्मा, प्रमोद पांधी, आलोक शर्मा, नरेश शर्मा, रमेश गौड़, प्रमोद शर्मा, विश्वास सक्सेना, आर.के. शर्मा आदि ने किया। छठे दिवस की कथा के यजमान समाजसेवी गंगाराम अडवाणी, राजेश चौहान, आर.डी. शर्मा, सुशील त्यागी,मुकेश अग्रवाल, ललित मोहन अग्रवाल, रहे आरती के बाद प्रसाद की सेवा मनोज गुप्ता, मोहन मल्होत्रा की रही। कथा में पूर्व मेयर मनोज गर्ग, सेवा भारती के पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।